याद कीजिए गा आहिस्ता आहिस्ता तो सब कुछ याद आता चला जाए गा..बंधनो का राज़ खुद ही
खुलता चला जाए गा..तुम कौन हो और हम कौन है,वक़्त के साथ खुद ही समझ आता चला जाए
गा...क्या चाहे गे तुम से,कुछ भी नहीं..कुछ भी तो नहीं...कलयुग मे राधा भी है तो कृष्ण यही साथ
होंगे..बात रिश्ते की करे तो सतयुग के साथ होंगे...ना राधा जी पाए गी अपने कृष्णा बिन तो कृष्णा
कहा अधूरे जी पाए गे..बात यकीन की है,तो कहे गे धर्म तो रूहों ने भी निभाए है..
खुलता चला जाए गा..तुम कौन हो और हम कौन है,वक़्त के साथ खुद ही समझ आता चला जाए
गा...क्या चाहे गे तुम से,कुछ भी नहीं..कुछ भी तो नहीं...कलयुग मे राधा भी है तो कृष्ण यही साथ
होंगे..बात रिश्ते की करे तो सतयुग के साथ होंगे...ना राधा जी पाए गी अपने कृष्णा बिन तो कृष्णा
कहा अधूरे जी पाए गे..बात यकीन की है,तो कहे गे धर्म तो रूहों ने भी निभाए है..