Wednesday 18 December 2019

कभी सूरज की तपिश मे रहे तो कभी चाँद की नरमी मे जिए..सुबह सूरज की भी मंजूर थी,चाँद की

सादगी भी कब नामंजूर थी..इंतज़ार तो उस क़यामत की रात का था,जो गुजरती इस तरह कि सूरज

को आना पड़ता यह बताने के लिए,सुबह भी कभी-कभी क़यामत को मात देती है..आगोश मे मेरी

खिलने के लिए,तुझे जरुरत तो मेरी ही होगी..चांदनी की आगोश मे चाँद जब-जब होगा,उस को खबर

तेरी कहां होगी..मेरी सुनहरी दुनिया की खूबसूरती बस इतनी है,तेरी मेहबूबा दिन के उजाले मे तुझ

से मिले..खौफ से परे ऐसी मुहब्बत कहां और होगी..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...