कभी सूरज की तपिश मे रहे तो कभी चाँद की नरमी मे जिए..सुबह सूरज की भी मंजूर थी,चाँद की
सादगी भी कब नामंजूर थी..इंतज़ार तो उस क़यामत की रात का था,जो गुजरती इस तरह कि सूरज
को आना पड़ता यह बताने के लिए,सुबह भी कभी-कभी क़यामत को मात देती है..आगोश मे मेरी
खिलने के लिए,तुझे जरुरत तो मेरी ही होगी..चांदनी की आगोश मे चाँद जब-जब होगा,उस को खबर
तेरी कहां होगी..मेरी सुनहरी दुनिया की खूबसूरती बस इतनी है,तेरी मेहबूबा दिन के उजाले मे तुझ
से मिले..खौफ से परे ऐसी मुहब्बत कहां और होगी..
सादगी भी कब नामंजूर थी..इंतज़ार तो उस क़यामत की रात का था,जो गुजरती इस तरह कि सूरज
को आना पड़ता यह बताने के लिए,सुबह भी कभी-कभी क़यामत को मात देती है..आगोश मे मेरी
खिलने के लिए,तुझे जरुरत तो मेरी ही होगी..चांदनी की आगोश मे चाँद जब-जब होगा,उस को खबर
तेरी कहां होगी..मेरी सुनहरी दुनिया की खूबसूरती बस इतनी है,तेरी मेहबूबा दिन के उजाले मे तुझ
से मिले..खौफ से परे ऐसी मुहब्बत कहां और होगी..