बात लब पे ना आई,दिल ने भी ना कही..यह रूह ही है जो अपनी रूह को कही से भी ढूंढ लेती है..
''इज़हारे-दर्द बयां होता नहीं...तू क्यों रहे मेरे दर्द मे,ऐसी इंतिहा मैंने सोची भी नहीं..शरारत करू संग
तेरे,यह तो मुनासिब है..तुझे हंसा दू,यह मेरा वादा है..'' सदियों से चल रहे है साथ तेरे,तेरे दर्द को जान
लेते है तुझ से भी पहले...जिस्म दो है तो क्या हुआ,रूहों को तो यू जुदाई का सबब ना बना..तेरी रूह
मे शामिल रहती है रूह मेरी,दर्द तुझ को मिले तो रो देती है रूह यह भी मेरी..अब तू बेशक इज़हारे-
दर्द मुझे बयां करे या ना करे ..तेरा दर्द तुझी से खींच लू,जान मेरी यह वादा तुझी से मेरा भी है...
''इज़हारे-दर्द बयां होता नहीं...तू क्यों रहे मेरे दर्द मे,ऐसी इंतिहा मैंने सोची भी नहीं..शरारत करू संग
तेरे,यह तो मुनासिब है..तुझे हंसा दू,यह मेरा वादा है..'' सदियों से चल रहे है साथ तेरे,तेरे दर्द को जान
लेते है तुझ से भी पहले...जिस्म दो है तो क्या हुआ,रूहों को तो यू जुदाई का सबब ना बना..तेरी रूह
मे शामिल रहती है रूह मेरी,दर्द तुझ को मिले तो रो देती है रूह यह भी मेरी..अब तू बेशक इज़हारे-
दर्द मुझे बयां करे या ना करे ..तेरा दर्द तुझी से खींच लू,जान मेरी यह वादा तुझी से मेरा भी है...