Sunday 1 December 2019

रूप के यह मेले,मेरे या फिर तेरे..कुछ वक़्त के है..ना गुमान कर सूरत की रोशनाई पे,जो ना सदा

तेरी रहनी है और ना मेरी ही रहनी है..प्यार करना है तो बस रूह से कर,जो अनंत काल तक ऐसे

ही रहनी है...रूप से जो प्यार करे गा,वो तेरे दर्द-दुःख का हमराज़ कहा होगा..नकली प्यार का नकली

मुखौटा जल्द ही सामने आ जाये गा..मन सूंदर और रूह सूंदर,वाणी हो मीठी-मीठी..जो तेरा दर्द

तुझ से पहले समझे,तेरी पीड़ा खुद ही हर ले..अब तू ही बता,रूप है पहले या रूह की पहचान है

पहले...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...