Sunday 22 December 2019

सो जा सकून से,दुआ करते है..सकून बेशक आज चुराया है तूने मेरा,मगर हम तो सदियों से आधे-अधूरे

है..जख्म देते है आप और हम खुद से मरहम लगाते है..दर्द की चादर ओढे हम फिर भी ज़िंदगी जी

लेते है..सर्द हवा का झौंका दर्द उड़ानें की कोशिश करता है..क्या कहे उस से,दर्द तो बरसो से हमारा

हमराज़ है..वो जानता है,किस्मत के छलावे को हम ने सर-आँखों पे बिठाया है..प्यार के बोल सुन कर,

दो पल के लिए खुश होते है..हकीकत तो यही है,सदियों से हम तो आधे-अधूरे है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...