सिर्फ चेहरा अगर प्यार का दर्पण होता,तो प्यार-मुहब्बत का मायना यही तक सीमित होता..देह का
सुंदर रूप जब तक रहता,प्यार-मुहब्बत क्या तभी तक होता..प्यार की शुद्धता,उस का मायना..कितनो
ने ठीक से समझा..चेहरा सुंदर,देह भी सुंदर..मन और रूह है बहुत बदसूरत..क्या प्यार तब ज़िंदा रह
पाए गा..कर्कश वाणी,मैली काया..क्या साजन को लुभा पाए गी..प्रेम-प्यार का असली गहना,रूह से
सुंदर.मन से सुंदर .मंत्र-मुग्ध से बोल अनोखे..जो तू प्यार से मुझ को सींचे,रूह के बंधन सदा ही तेरे..
सुंदर रूप जब तक रहता,प्यार-मुहब्बत क्या तभी तक होता..प्यार की शुद्धता,उस का मायना..कितनो
ने ठीक से समझा..चेहरा सुंदर,देह भी सुंदर..मन और रूह है बहुत बदसूरत..क्या प्यार तब ज़िंदा रह
पाए गा..कर्कश वाणी,मैली काया..क्या साजन को लुभा पाए गी..प्रेम-प्यार का असली गहना,रूह से
सुंदर.मन से सुंदर .मंत्र-मुग्ध से बोल अनोखे..जो तू प्यार से मुझ को सींचे,रूह के बंधन सदा ही तेरे..