आज तो तेरा ही दिन है,क्यों ना इस को तेरे ही नाम से रंग दे..दुनियाँ से क्या लेना-देना है,क्यों ना इस
दुनियाँ को ही कुछ हुक्म सुना दे..सजना भी नहीं,सवरना भी तो नहीं,दुल्हन तो तेरी है जिसे मेरा सजना
पसंद ही नहीं..आँखों मे काजल की इक रेखा और लबो पे मुस्कान,यही शृंगार किया है मैंने तेरे ही नाम..
तुम हो मेरी ऐसी दुल्हन जो ''पैदा होती है सदियों बाद '' यह बात जेहन मे हर पल रहती है..तुझे जब भी
मिलना है,बिलकुल वैसे ही मिलना है.. जैसे एक नई नवेली दुल्हन तूने मुझ को हरदम माना है..
दुनियाँ को ही कुछ हुक्म सुना दे..सजना भी नहीं,सवरना भी तो नहीं,दुल्हन तो तेरी है जिसे मेरा सजना
पसंद ही नहीं..आँखों मे काजल की इक रेखा और लबो पे मुस्कान,यही शृंगार किया है मैंने तेरे ही नाम..
तुम हो मेरी ऐसी दुल्हन जो ''पैदा होती है सदियों बाद '' यह बात जेहन मे हर पल रहती है..तुझे जब भी
मिलना है,बिलकुल वैसे ही मिलना है.. जैसे एक नई नवेली दुल्हन तूने मुझ को हरदम माना है..