Wednesday 22 January 2020

सजाया खुद का आंगन खुद की रौशनी से..और बिंदास जीते रहे..मतलबपरस्त है यह दुनियां,जान के

भी ख़ुशी ख़ुशी अपनी राह पे चलते रहे..चलना शुरू किया था अकेले,कब काफिला साथ हो लिया..

हज़ारो रो दिए हमारे आगे यह सोच कर,कि कुदरत ने हम को हर तरह से नवाज़ा है..दर्द तो हमारा

खुद का है,फिर किसी और को क्या कहते...बाँट दी कितनो को ख़ुशी और खुद तन्हा हो कर भी खुल

के हँसते रहे..आज भी खुद से बेहद प्यार करते है कि इस दुनियां मे किसी पे भी आंख बंद कर के

 भरोसा नहीं करते है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...