Sunday 19 January 2020

दुआ कबूल हुई हमारी और हम ख़ुशी से चहक चहक गए...बाबा का कहा सच हुआ,हम दूजो के

लिए फिर कुर्बान हो गए..यह कैसी दुआ दी हम ने,कि साँसे किसी की लौट आई..यू लगा जैसे किसी

की नज़रो मे हम एक फरिश्ता हो गए..धरा पे पांव रखना,बेशक ख़ज़ाने मिल जाए..बाबा की यह

नसीहत सर आँखों पे रखते आये है..गरूर क्यों करे कि उन्ही का सम्मान रखते आए है..बुरे बोल

कहने से बचते है,गर यह कही कबूल हो गए तो खुद को माफ़ कभी ना कर पाए गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...