Saturday 18 January 2020

काफिर अदा बहकी नज़र..कदम जो चल रहे है अनजान देश की तरफ..देश जो कभी देखा नहीं,

सपनो का हिसाब कभी करते भी नहीं..महके बदन सिर्फ तेरे ख्याल भर से..नज़र झुक जाए तुझे

याद कर के...इबादत तेरी करे तो भी खुदा मान के तुझे..जिस को कभी देखा नहीं,उस की तस्वीर

बनाए कैसे..आड़ी-तिरछी लकीरे खींचते है,तस्वीर और सूरत का सिर्फ अंदाज़ा भर कर लेते है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...