Tuesday, 21 January 2020

हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती...हर खुशबू गुलाब की तो नहीं होती..हर घरोंदे को कैसे अशियाना

कह दे..दर्द जो उठता है बार बार इस सीने मे,इस दर्द को मुहब्बत का दर्द कैसे कह दे..रात तो रोज़

आती है,कभी लाती है बरसात तो कभी घोर अँधेरा भी तो ले आती है..हज़ारो रंग भरे है इस दुनिया मे,

रंग कौन सा पाक-साफ़ है..इबादत मे जब हाथ उठते है,बस इक वो ही समां होता है ऐसा, जब अपने

हर सवाल का जवाब उस खुदा से हम पा लेते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...