''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ'' को इतना प्यार-दुलार देने के लिए आप सभी का शुक्रिया..
आप की अपनी शायरा
आप की अपनी शायरा
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...