Monday 13 January 2020

हज़ारो खामियों से भरे है,हज़ारो दर्द खुद मे समेटे है..कोई वज़ूद नहीं मेरा,किसी सीमा में ही नहीं है..

जो है जैसे है..ऐसे ही है..जो बुरा लगा कह दिया,जब खुश हुए तो हंस भी दिए..बस ज़मीर के सच्चे है..

इसलिए बार बार धोखे खा जाते है..अनपढ़ नहीं मगर चोटी के विद्वान भी नहीं है..सब समझते है पर

चालाकियों से कोसों दूर है..दुनियां के हेरा-फ़ेरियो को कभी कभी समझ नहीं पाते है..तुझ मे खोजा इक

सच्चा इंसान,अब कही यह हमारी कोई भूल तो नहीं...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...