हज़ारो खामियों से भरे है,हज़ारो दर्द खुद मे समेटे है..कोई वज़ूद नहीं मेरा,किसी सीमा में ही नहीं है..
जो है जैसे है..ऐसे ही है..जो बुरा लगा कह दिया,जब खुश हुए तो हंस भी दिए..बस ज़मीर के सच्चे है..
इसलिए बार बार धोखे खा जाते है..अनपढ़ नहीं मगर चोटी के विद्वान भी नहीं है..सब समझते है पर
चालाकियों से कोसों दूर है..दुनियां के हेरा-फ़ेरियो को कभी कभी समझ नहीं पाते है..तुझ मे खोजा इक
सच्चा इंसान,अब कही यह हमारी कोई भूल तो नहीं...
जो है जैसे है..ऐसे ही है..जो बुरा लगा कह दिया,जब खुश हुए तो हंस भी दिए..बस ज़मीर के सच्चे है..
इसलिए बार बार धोखे खा जाते है..अनपढ़ नहीं मगर चोटी के विद्वान भी नहीं है..सब समझते है पर
चालाकियों से कोसों दूर है..दुनियां के हेरा-फ़ेरियो को कभी कभी समझ नहीं पाते है..तुझ मे खोजा इक
सच्चा इंसान,अब कही यह हमारी कोई भूल तो नहीं...