Monday 13 January 2020

एक लेखक या लेखिका,जब जब इन पन्नो पे कलम ले कर उतरते है..वो सारे संसार से बेखबर हो जाते है...बस दिखते है तो बस लफ्ज़,दिमाग मे चलते है सिर्फ और सिर्फ लफ्ज़..और विषय हो जब प्रेम का ,तो यह कलम कही भी रुकना नहीं चाहती...कही भी नहीं..जब तक वो प्रेम की गहराई को छू नहीं लेती,तब तल्क़ वो इन पन्नो की ही रहती है..दोस्तों,मुझे ख़ुशी है कि आप सभी को मेरी कलम कि कदर है..बहुत सम्मान दिया है आप ने..गुजारिश करती हू,मेरी ''सरगोशियां'' के सात चले,साथ रहे..आप सब का साथ इस शायरा इस लेखिका को,मुकाम तक ले जा सकता है..शुक्रिया...आभार..आप की अपनी शायरा,लेखिका..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...