Wednesday 8 January 2020

आज शब्द कहते है कुछ और कलम कहती है कुछ..दिल भी कह रहा है कुछ,दिमाग की सोच बोलती

है कुछ..लिखने के लिए अब क्या है,शब्दों ने फ़रमाया..कलम,हार जिस ने ना मानी कभी..सहारा तेरा ना

हुआ तो क्या ? कलम लिखना छोड़ दे गी..जमीं-आसमां कायम है जब तल्क़,यह सिर्फ लिखे गी और

लिखती जाए गी..हज़ारो मुद्दे है लिखने के लिए,मगर कलम प्रेम पे भी लिखे गी..संसार जो भूल चुका

है प्रेम के बलिदान को,प्रेम के अवतार को..प्रेम जो सब कुछ भूल कर भी,प्रेम मे लीन है..प्रेम ही जीवन

है,प्रेम ही तो पहचान है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...