''सरगोशियां इक प्रेम ग्रन्थ'' जिस का हर शब्द,यह शायरा जब जब लिखती है..शब्दों मे डूब कर ही लिखती है..शायद मेरी कलम से लिखे लफ्ज़ो ने,कभी आप को रुलाया होगा,कभी दर्द भी दिया होगा तो कभी प्रेम के अहसास को महसूस करने पर मजबूर भी किया होगा..एक कलाकार,एक लेखक जब भी पन्नो पे उतरता है,लोगो के मन मे उन की रूह को छूने की कोशिश करता है..लफ्ज़,शब्द..जिस के लिए आप रोज़ इंतज़ार करे,उन की गहराई को महसूस करे...कभी यह शब्द खुद से जुड़े लगे..तभी इस शायरा को लगे गा कि उस की लेखनी सम्पूर्ण है...अपने उन सभी दोस्तों का तहे-दिल से शुक्रिया करती हू,जो रोज़ाना मेरे लफ्ज़ो को पढ़ते है..अपनी प्रतिक्रिया भी लिखते है..जो सिर्फ पढ़ते है,कुछ लिखते नहीं..उन का भी शुक्रिया..पढ़ते तो है..एक लेखक यही आ कर भाग्यवान हो जाता है,जब उस की लेखनी को सम्मान मिलता है...दोस्तों,मेरे लेखन मे कोई कमी नज़र आये तो भी बताना मत भूलिए गा...आभार... आप की अपनी शायरा
Saturday, 25 January 2020
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए....
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मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कह...
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आहटे कभी झूट बोला नहीं करती,वो तो अक्सर रूह को आवाज़ दिया करती है...मन्नतो की गली से निकल कर,हकीकत को इक नया नाम दिया करती है...बरकत देती ...