Saturday 25 January 2020

''सरगोशियां इक प्रेम ग्रन्थ''  जिस का हर शब्द,यह शायरा जब जब लिखती है..शब्दों मे डूब कर ही लिखती है..शायद मेरी कलम से लिखे लफ्ज़ो ने,कभी आप को रुलाया होगा,कभी दर्द भी दिया होगा तो कभी प्रेम के अहसास को महसूस करने पर मजबूर भी किया होगा..एक कलाकार,एक लेखक जब भी पन्नो पे उतरता है,लोगो के मन मे उन की रूह को छूने की कोशिश करता है..लफ्ज़,शब्द..जिस के लिए आप रोज़ इंतज़ार करे,उन की गहराई को महसूस करे...कभी यह शब्द खुद से जुड़े लगे..तभी इस शायरा को लगे गा कि उस की लेखनी सम्पूर्ण है...अपने उन सभी दोस्तों का तहे-दिल से शुक्रिया करती हू,जो रोज़ाना मेरे लफ्ज़ो को पढ़ते है..अपनी प्रतिक्रिया भी लिखते है..जो सिर्फ पढ़ते है,कुछ लिखते नहीं..उन का भी शुक्रिया..पढ़ते तो है..एक लेखक यही आ कर भाग्यवान हो जाता है,जब उस की लेखनी को सम्मान मिलता है...दोस्तों,मेरे लेखन मे कोई कमी नज़र आये तो भी बताना मत भूलिए गा...आभार...   आप की अपनी शायरा 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...