Sunday 26 January 2020

पन्नो पे लिख रहे है कब से,याद भी नहीं..जुड़ा रिश्ता इन से और हम दुनियां से अलूफ हो गए...कि कोई

रिश्ता इन से जयदा वफादार मिला ही नहीं..हम रोए तो यह साथ रो दिए हमारे..हम जो खुश हुए तो यह

और करीब हो गए हमारे..इन को ना मतलब रहा हमारे रुतबे से,दौलत से..ना खूबसूरती से..यह तो सच्चा

साथी बन कर हम को सच्चा प्यार देते रहे..शोहरत मिली तो भी यह सहज रहे,आसमां को छूने लगे तो भी

दुलार उतना ही देते रहे..इन के कायल हुए इतना कि सज़दे मे दो अश्क इन को समर्पित कर दिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...