Monday 20 January 2020

जहां भी हो, हम तेरे साथ है इक साया बन कर..सूरज निकलना भूल सकता है..चाँद फिर भी रात भर

सो सकता है..यह हवाएं चलना भूल सकती है..यह फिजाएं महकना छोड़ सकती है..तुम गलत चलो तो

हम खफा तुम से हो सकते है..पर साथ रहे साए की तरह,यह कैसे भूल सकते है..अब तो पराया ना

समझ कि टूट जाते है..तेरी सलामती के लिए,खुदा से बस दुआए करते रहते है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...