जहां भी हो, हम तेरे साथ है इक साया बन कर..सूरज निकलना भूल सकता है..चाँद फिर भी रात भर
सो सकता है..यह हवाएं चलना भूल सकती है..यह फिजाएं महकना छोड़ सकती है..तुम गलत चलो तो
हम खफा तुम से हो सकते है..पर साथ रहे साए की तरह,यह कैसे भूल सकते है..अब तो पराया ना
समझ कि टूट जाते है..तेरी सलामती के लिए,खुदा से बस दुआए करते रहते है..
सो सकता है..यह हवाएं चलना भूल सकती है..यह फिजाएं महकना छोड़ सकती है..तुम गलत चलो तो
हम खफा तुम से हो सकते है..पर साथ रहे साए की तरह,यह कैसे भूल सकते है..अब तो पराया ना
समझ कि टूट जाते है..तेरी सलामती के लिए,खुदा से बस दुआए करते रहते है..