दर्द के समंदर से निकले बाहर फिजाओ मे...आज हवाओं मे कितनी खुशबू के रेले है..फूल ही फूल
कितने ही फूल..जो बिछे है हमारी राहो मे,हर कदम पे जैसे सज़दा हमीं का करते हुए..यू लगा एक
फरिश्ता है हम और फूलों की बारिश महका रही है हमे..यह खूबसूरत मंजर तो कभी सोचा ना था..
यह धमाके है खुशियों के या हम उड़ रहे है आसमान मे..धरा पे रहना मकसद है हमारा,मगर इन
फूलों को सिरे से नकारना बहुत मुश्किल है हमारे लिए..
कितने ही फूल..जो बिछे है हमारी राहो मे,हर कदम पे जैसे सज़दा हमीं का करते हुए..यू लगा एक
फरिश्ता है हम और फूलों की बारिश महका रही है हमे..यह खूबसूरत मंजर तो कभी सोचा ना था..
यह धमाके है खुशियों के या हम उड़ रहे है आसमान मे..धरा पे रहना मकसद है हमारा,मगर इन
फूलों को सिरे से नकारना बहुत मुश्किल है हमारे लिए..