Friday 3 January 2020

जहा जहा रख रहे है कदम,निशाँ छोड़ते जा रहे है हर राह पर...रेत की चादर बिछी है जहा,रास्ते तो

बना दिए हम ने भी वहां..कदमो के थकने की परवाह अब किस को है,कदम तो अब पीछे मुड़ने से रहे..

लहू रिसे या घाव नासूर बन जाए,रुकने से अब नहीं रुके गए यह कदम..उजाला बिखेरना है उस छोर

तक जहा रौशनी भी कह दे,अब मेरे बस मे और कुछ भी नहीं..बस तभी होगा हमारा वो अगला कदम,

जहा उजाला कहे गा,तेरे सिवा मेरा कोई नहीं...कोई भी नहीं..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...