दो जोड़ी नन्ही मासूम सी आँखों ने सवाल किया हम से..इतने बड़े जहान मे मेरा अपना घर कहाँ है..
जहाँ रह सकू मैं सकून से,ऐसा मेरा घर कहाँ है..सवाल उस जैसी बहुत सी आँखों का है..कितना गहरा
सवाल है..जवाब की आस मे वो मासूम आंखे देख रही थी हमारी तरफ..और हम जो सोच रहे थे,कि
अपने कष्ट का धयान रहा हमें..और वो जो घर और दो रोटी के हिसाब और कष्ट मे कितना मजबूर है..
फैसला दिल ने ऐसा किया,उस की रोटी और घर का वादा हम ने अपने भरपूर प्यार से कर दिया..
जहाँ रह सकू मैं सकून से,ऐसा मेरा घर कहाँ है..सवाल उस जैसी बहुत सी आँखों का है..कितना गहरा
सवाल है..जवाब की आस मे वो मासूम आंखे देख रही थी हमारी तरफ..और हम जो सोच रहे थे,कि
अपने कष्ट का धयान रहा हमें..और वो जो घर और दो रोटी के हिसाब और कष्ट मे कितना मजबूर है..
फैसला दिल ने ऐसा किया,उस की रोटी और घर का वादा हम ने अपने भरपूर प्यार से कर दिया..