Sunday 5 January 2020

दो जोड़ी नन्ही मासूम सी आँखों ने सवाल किया हम से..इतने बड़े जहान मे मेरा अपना घर कहाँ है..

जहाँ रह सकू मैं सकून से,ऐसा मेरा घर कहाँ है..सवाल उस जैसी बहुत सी आँखों का है..कितना गहरा

सवाल है..जवाब की आस मे वो मासूम आंखे देख रही थी हमारी तरफ..और हम जो सोच रहे थे,कि

अपने कष्ट का धयान रहा हमें..और वो जो घर और दो रोटी के हिसाब और कष्ट मे कितना मजबूर है..

फैसला दिल ने ऐसा किया,उस की रोटी और घर का वादा हम ने अपने भरपूर प्यार से कर दिया..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...