Wednesday, 29 January 2020

ना तो खवाब देखे ऐसे, ना ही सपने बुने ऐसे..जो पूरे हो ही ना सके..बस देखा हाथ की लकीरो को,और

खामोश रह गए..जिस ख़ुशी को देखा तो बहुत करीब से,महसूस किया रूह की धार से..नसीब के इस

खेल को हम ने समझौता समझ,दिल से कबूल कर लिया..समझौते तो करते ही आए है,फिर इस बार

इतना दर्द क्यों महसूस हुआ..शायद हवा की यह महक बहुत खूबसूरत है,जो हमारी रूह के भी बहुत

करीब है...पर खवाब तो खवाब है,जो सिर्फ देखा जाता है..आंख खुलते ही टूट भी जाता है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...