Wednesday 22 January 2020

अनंत काल से जो बने थे इक दूजे के वास्ते..क्यों तक़दीर जुदा करती रही,दोनों को तड़पने के वास्ते..

ना साँसे वो पूरी ले सकी,उस के बगैर..ना वो रम पाया अपनी दुनियां मे उस के बगैर..भूले-बिसरे कभी

कभार तक़दीर मेहरबां होती रही..दो बोल बोले प्यार के और फिर जुदाई आ गई..वो समझाती रही,ना

हार हिम्मत कि अभी कितने जन्म आने बाकी है..इस जन्म तेरी सूरत भी ना देखी तो क्या हुआ..रूह तो

तेरे साथ है मेरी..कह तो दिया उसे मगर, रात भर उस के लिए फूट फूट कर रोती रही..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...