अनंत काल से जो बने थे इक दूजे के वास्ते..क्यों तक़दीर जुदा करती रही,दोनों को तड़पने के वास्ते..
ना साँसे वो पूरी ले सकी,उस के बगैर..ना वो रम पाया अपनी दुनियां मे उस के बगैर..भूले-बिसरे कभी
कभार तक़दीर मेहरबां होती रही..दो बोल बोले प्यार के और फिर जुदाई आ गई..वो समझाती रही,ना
हार हिम्मत कि अभी कितने जन्म आने बाकी है..इस जन्म तेरी सूरत भी ना देखी तो क्या हुआ..रूह तो
तेरे साथ है मेरी..कह तो दिया उसे मगर, रात भर उस के लिए फूट फूट कर रोती रही..
ना साँसे वो पूरी ले सकी,उस के बगैर..ना वो रम पाया अपनी दुनियां मे उस के बगैर..भूले-बिसरे कभी
कभार तक़दीर मेहरबां होती रही..दो बोल बोले प्यार के और फिर जुदाई आ गई..वो समझाती रही,ना
हार हिम्मत कि अभी कितने जन्म आने बाकी है..इस जन्म तेरी सूरत भी ना देखी तो क्या हुआ..रूह तो
तेरे साथ है मेरी..कह तो दिया उसे मगर, रात भर उस के लिए फूट फूट कर रोती रही..