देखा आज इक ऐसा चेहरा,खूबसूरती का उस पे ना था कोई पहरा..मिले ऐसी शख़्सिहत से आज,जिस
पे तहजीब और संस्कारो ने बना दिया देव स्वरुप के जैसा...कितने खूबसूरत चेहरे देखे,मगर जो बात
इस चेहरे मे देखी..तो फ़िदा हो गए..कोई रूप-रंग नहीं..पर वो सलीका,वो अदब से बात करना..गरूर
तो जैसे छुआ भी नहीं..कायल हो गए उस की बातो के,कायल हो गए उस की शराफत के...नज़रो का
इतना साफ़ होना,हम को बहती नदिया की याद दिला गया..
पे तहजीब और संस्कारो ने बना दिया देव स्वरुप के जैसा...कितने खूबसूरत चेहरे देखे,मगर जो बात
इस चेहरे मे देखी..तो फ़िदा हो गए..कोई रूप-रंग नहीं..पर वो सलीका,वो अदब से बात करना..गरूर
तो जैसे छुआ भी नहीं..कायल हो गए उस की बातो के,कायल हो गए उस की शराफत के...नज़रो का
इतना साफ़ होना,हम को बहती नदिया की याद दिला गया..