Monday 6 January 2020

बहुत दूर यानी उतनी दूर,जहा आसमां ख़त्म होता हो..सितारों से परे जहा इक नया जहां शुरू होता हो..

तू कौन है और मैं कौन हू,इस का फैसला करने का वक़्त..ना तेरे पास हो ना ही मेरे पास हो..बेशक ना

मिले सदियों तल्क़,गुफ्तगू भी ना हो सदियों तल्क़...इक तार इक साज़,जो बिन बजे भी साज़ हो..प्यार

की ऐसी इंतिहा,जिस की खबर ना तुम को हो ना मुझ को हो..बेवफा तू ना हो कभी मुझ से,मैं वफ़ा की

मूरत रहू..बस इतना हमारे बीच हो,फिर चाहे तू कही हो मैं कही भी रहू..प्यार परवान चढ़ता रहे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...