Tuesday 14 January 2020

हवा की डोर से रिश्ता बांधा हम ने..शाख के फूल को वफ़ा नाम दे दिया..जो फूल गिरते रहे इन शाखाओ

से,उन को भर अपने दामन मे दुलार नाम दे दिया...अब तो यह हवा खुद हम को मुहब्बत के नाम से

बुलाती है..देख आंसू मेरी आँखों मे,वो डर से काँप जाती है..डर से कितने बार हम खुद काँप जाते है,

तुझे कही खो ना दे,इस ख्याल से तुझे ख्याल मे ही सीने से लगा लेते है..मुहब्बत पुकारा है मुझे तो तुझे

प्यार से इतना इतना नहलाते जाए गे कि डोर कभी आप तोड़ ही ना पाए गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...