हवा की डोर से रिश्ता बांधा हम ने..शाख के फूल को वफ़ा नाम दे दिया..जो फूल गिरते रहे इन शाखाओ
से,उन को भर अपने दामन मे दुलार नाम दे दिया...अब तो यह हवा खुद हम को मुहब्बत के नाम से
बुलाती है..देख आंसू मेरी आँखों मे,वो डर से काँप जाती है..डर से कितने बार हम खुद काँप जाते है,
तुझे कही खो ना दे,इस ख्याल से तुझे ख्याल मे ही सीने से लगा लेते है..मुहब्बत पुकारा है मुझे तो तुझे
प्यार से इतना इतना नहलाते जाए गे कि डोर कभी आप तोड़ ही ना पाए गे..
से,उन को भर अपने दामन मे दुलार नाम दे दिया...अब तो यह हवा खुद हम को मुहब्बत के नाम से
बुलाती है..देख आंसू मेरी आँखों मे,वो डर से काँप जाती है..डर से कितने बार हम खुद काँप जाते है,
तुझे कही खो ना दे,इस ख्याल से तुझे ख्याल मे ही सीने से लगा लेते है..मुहब्बत पुकारा है मुझे तो तुझे
प्यार से इतना इतना नहलाते जाए गे कि डोर कभी आप तोड़ ही ना पाए गे..