काया पलट रहे है तेरी..फितरत बदल रहे है तेरी..वफ़ा की राह पे सिखा रहे है तुझ को चलना..अपने
ही रंग मे रंगते जा रहे है इतना,भूले से भी याद ना रहे तुझे कुछ अपना..अब यह मत कहना,जादूगर
हो या मेरे दिल का आईना..पूछिए गा तभी इतना जब दिल आप का खुद के पास हो इतना...चारो
खाने चित हो चुके है आप..कि काया क्या माया क्या,हर तरह से हमारे हो चुके है आप..
ही रंग मे रंगते जा रहे है इतना,भूले से भी याद ना रहे तुझे कुछ अपना..अब यह मत कहना,जादूगर
हो या मेरे दिल का आईना..पूछिए गा तभी इतना जब दिल आप का खुद के पास हो इतना...चारो
खाने चित हो चुके है आप..कि काया क्या माया क्या,हर तरह से हमारे हो चुके है आप..