Wednesday 29 January 2020

वो दिन वो लम्हा,प्रेम की पहली पहली भाषा...देख के जिस को दिल मे कौंधी बिजली और धक् धक्

से यह दिल बेताब हो आया..प्यार से किस ने किस को पुकारा..जन्म जन्म की प्यासी रूहे,मिलने लगी

इस बार फिर दुबारा..वो थी उस की वही पुरानी राधा,पर वो अभी कृष्ण पूरा नहीं बन पाया..पगी प्रेम

मे राधा,विरह की आग मे जले गी फिर दुबारा..मिलन अधूरा,साथ अधूरा..मगर प्रेम राधा का है पूरा..

जब तक तुम ना चाहो गे मुझ को मन और रूह से,तब तक इंतज़ार करे गी तेरी यह पगली राधा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...