वो दिन वो लम्हा,प्रेम की पहली पहली भाषा...देख के जिस को दिल मे कौंधी बिजली और धक् धक्
से यह दिल बेताब हो आया..प्यार से किस ने किस को पुकारा..जन्म जन्म की प्यासी रूहे,मिलने लगी
इस बार फिर दुबारा..वो थी उस की वही पुरानी राधा,पर वो अभी कृष्ण पूरा नहीं बन पाया..पगी प्रेम
मे राधा,विरह की आग मे जले गी फिर दुबारा..मिलन अधूरा,साथ अधूरा..मगर प्रेम राधा का है पूरा..
जब तक तुम ना चाहो गे मुझ को मन और रूह से,तब तक इंतज़ार करे गी तेरी यह पगली राधा...
से यह दिल बेताब हो आया..प्यार से किस ने किस को पुकारा..जन्म जन्म की प्यासी रूहे,मिलने लगी
इस बार फिर दुबारा..वो थी उस की वही पुरानी राधा,पर वो अभी कृष्ण पूरा नहीं बन पाया..पगी प्रेम
मे राधा,विरह की आग मे जले गी फिर दुबारा..मिलन अधूरा,साथ अधूरा..मगर प्रेम राधा का है पूरा..
जब तक तुम ना चाहो गे मुझ को मन और रूह से,तब तक इंतज़ार करे गी तेरी यह पगली राधा...