भीग रहे है नैना तुझे याद करते करते..ना मिलते तुम तो हम यही समझ लेते,जितना मिला उसी मे
जी लेते..आईना हर बार आगाह मुझे करता रहा,तू बनी है किसी फरिश्ते के लिए...नैना जो कभी
खुले तो कभी बंद हुए,मगर तेरा चेहरा खुद मे बसाते रहे..वो चेहरा जो सदियों से हमारा है,वो नाम
जो जन्मो से हमारा है..किस्मत का यह खेल कभी समझ ही ना पाए..जिस के बिना जी नहीं पाते,वो
साथ क्यों नहीं मेरे..क्यों नहीं मेरे..
जी लेते..आईना हर बार आगाह मुझे करता रहा,तू बनी है किसी फरिश्ते के लिए...नैना जो कभी
खुले तो कभी बंद हुए,मगर तेरा चेहरा खुद मे बसाते रहे..वो चेहरा जो सदियों से हमारा है,वो नाम
जो जन्मो से हमारा है..किस्मत का यह खेल कभी समझ ही ना पाए..जिस के बिना जी नहीं पाते,वो
साथ क्यों नहीं मेरे..क्यों नहीं मेरे..