Wednesday, 22 January 2020

भीग रहे है नैना तुझे याद करते करते..ना मिलते तुम तो हम यही समझ लेते,जितना मिला उसी मे

जी लेते..आईना हर बार आगाह मुझे करता रहा,तू बनी है किसी फरिश्ते के लिए...नैना जो कभी

खुले तो कभी बंद हुए,मगर तेरा चेहरा खुद मे बसाते रहे..वो चेहरा जो सदियों से हमारा है,वो नाम

जो जन्मो से हमारा है..किस्मत का यह खेल कभी समझ ही ना पाए..जिस के बिना जी नहीं पाते,वो

साथ क्यों नहीं मेरे..क्यों नहीं मेरे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...