कितने उठाए तेरे नखरे कि अब तो शाम जाने को है..क्या कहे तुझ को कि तेरी हर अदा अब भाने
को है..दिल जो अब बस मे ही नहीं ...दिमाग कुछ सोचने की हालत मे नहीं..नखरे अब जयदा तेरे
उठाए गे भी नहीं..मसरूफ हो जाए गे अपनी दुनियां मे,लाख पुकारो गे आए गे भी नहीं..नखरे तो
हमारे भी है..अदाओ की कारीगरी पास हमारे भी है...रूप का जादू हमारा कही भी चल सकता है..
तेरे नखरे अब तो तौबा तौबा....
को है..दिल जो अब बस मे ही नहीं ...दिमाग कुछ सोचने की हालत मे नहीं..नखरे अब जयदा तेरे
उठाए गे भी नहीं..मसरूफ हो जाए गे अपनी दुनियां मे,लाख पुकारो गे आए गे भी नहीं..नखरे तो
हमारे भी है..अदाओ की कारीगरी पास हमारे भी है...रूप का जादू हमारा कही भी चल सकता है..
तेरे नखरे अब तो तौबा तौबा....