Friday, 17 January 2020

कितने उठाए तेरे नखरे कि अब तो शाम जाने को है..क्या कहे तुझ को कि तेरी हर अदा अब भाने

को है..दिल जो अब बस मे ही नहीं ...दिमाग कुछ सोचने की हालत मे नहीं..नखरे अब जयदा तेरे

उठाए गे भी नहीं..मसरूफ हो जाए गे अपनी दुनियां मे,लाख पुकारो गे आए गे भी नहीं..नखरे तो

हमारे भी है..अदाओ की कारीगरी पास हमारे भी है...रूप का जादू हमारा कही भी चल सकता है..

तेरे नखरे अब तो तौबा तौबा....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...