तेज़ हवाओं का सरूर है या बेबाकी इस मौसम की..हम ज़िंदगी तेरे और करीब और करीब हो गए..
जब तल्क़ है इन सांसो की रौशनी,तुझे बिंदास जी कर ही दिखाए गे..यह बात और है कि सांसे अभी
मोहलत और कितनी दे गी..अब दिन मिले चार या बरस मिले पांच,जीना है जिस उड़ान से,यह बात तो
ज़िंदगी तुझे भी समझ नहीं आए गी...कुछ तो ऐसा कर जाए गे,जाने के बाद दुनिया को तभी समझ आए
गे..अब यह ना पूछिए,कि क्या कर के जाए गे...
जब तल्क़ है इन सांसो की रौशनी,तुझे बिंदास जी कर ही दिखाए गे..यह बात और है कि सांसे अभी
मोहलत और कितनी दे गी..अब दिन मिले चार या बरस मिले पांच,जीना है जिस उड़ान से,यह बात तो
ज़िंदगी तुझे भी समझ नहीं आए गी...कुछ तो ऐसा कर जाए गे,जाने के बाद दुनिया को तभी समझ आए
गे..अब यह ना पूछिए,कि क्या कर के जाए गे...