Friday 3 January 2020

तेज़ हवाओं का सरूर है या बेबाकी इस मौसम की..हम ज़िंदगी तेरे और करीब और करीब हो गए..

जब तल्क़ है इन सांसो की रौशनी,तुझे बिंदास जी कर ही दिखाए गे..यह बात और है कि सांसे अभी

मोहलत और कितनी दे गी..अब दिन मिले चार या बरस मिले पांच,जीना है जिस उड़ान से,यह बात तो

ज़िंदगी तुझे भी समझ नहीं आए गी...कुछ तो ऐसा कर जाए गे,जाने के बाद दुनिया को तभी समझ आए

गे..अब यह ना पूछिए,कि क्या कर के जाए गे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...