वो अपनी सूरत पे हद से जय्दा गुमान करते रहे..और हम हर बार दिल उन का रखने के लिए,हां मे
हां मिलाते रहे..सूरत का क्या है,इस को जयदा दिन कहां रहना है..आखिर वक़्त के साथ इक दिन ढल
जाना है..आज बेशक कितनी और सूरतों को अपनी सूरत से लुभा ले..रातो को कितनो से गुफ्तगू भी
कर ले..तेरी सूरत मे ऐसा कुछ भी नहीं जो मुझ को मोहित कर ले..तुझ को ख़ुशी देने के लिए बेशक
तेरी सूरत की तारीफ भी कर दे..सच तो यही है,जो साथ दे अंत तक..साथी असली वही होता है..सूरत
को नहीं बस सीरत संभाल अपनी..
हां मिलाते रहे..सूरत का क्या है,इस को जयदा दिन कहां रहना है..आखिर वक़्त के साथ इक दिन ढल
जाना है..आज बेशक कितनी और सूरतों को अपनी सूरत से लुभा ले..रातो को कितनो से गुफ्तगू भी
कर ले..तेरी सूरत मे ऐसा कुछ भी नहीं जो मुझ को मोहित कर ले..तुझ को ख़ुशी देने के लिए बेशक
तेरी सूरत की तारीफ भी कर दे..सच तो यही है,जो साथ दे अंत तक..साथी असली वही होता है..सूरत
को नहीं बस सीरत संभाल अपनी..