Saturday 25 January 2020

हवाओं के रुख हज़ारो देखे..सब मे नमी के रंग के सिवा कुछ ना देखा..हज़ारो चेहरे देखे,आँखों मे

किसी के कोई सच्चे भाव ना देखे..कही प्रेम नहीं,कही वफ़ा भी नहीं..तू है साथ तो कितनी और साथ

है,फिर भी सभी से प्यार के इज़हार है..कमाल है,यह भी कोई प्यार है..प्यार कोई खेल नहीं,जो सभी

से खेल लिया जाए...प्यार वो जो रूह को छू जाए,किसी और के ख्याल भी दिल मे ना आए..कहां है

यह प्यार,कहां है सिर्फ एक के साथ,कहां है सच्ची वफ़ा..''सरगोशियां''तू बता ना इन सब को,प्रेम की

शुद्धता होती है कैसी,झरने के बहते नीर जैसी..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...