आईना क्यों गवाही दे रहा है ,कि हमारे हुस्न के चर्चे आज भी जहां पे भारी है...नज़रो का तीखापन और
आँखों के किनारे कजरारे..कहते तो कुछ भी नहीं,मगर इक मुस्कान ही हमारी काफी है..ना इस दुनियां
से है कोई मतलब,ना इंतज़ार किसी का बाकी है..जिस ने बनाया हमे,उसी का शुक्र करना ही काफी है..
बाबा की दुआ है या माँ साथ है आज भी मेरे,नूर इस चेहरे पे जो कायम है,सिर्फ और सिर्फ है उन के तले
आँखों के किनारे कजरारे..कहते तो कुछ भी नहीं,मगर इक मुस्कान ही हमारी काफी है..ना इस दुनियां
से है कोई मतलब,ना इंतज़ार किसी का बाकी है..जिस ने बनाया हमे,उसी का शुक्र करना ही काफी है..
बाबा की दुआ है या माँ साथ है आज भी मेरे,नूर इस चेहरे पे जो कायम है,सिर्फ और सिर्फ है उन के तले