Friday, 17 January 2020

गहरा श्याम वर्ण लिए तुम तो कान्हा हो..गहरी गहरी कारी अँखियाँ,अरे तुम तो बिलकुल कान्हा हो..

वही चपलता वैसे ही नटखट,दिल को लुभाने वाले मेरे प्यारे कान्हा हो..बात बात पे मुझ को सताना,

रोज़ रोज़ मुझ को रुला देना,यक़ीनन तुम्ही कान्हा हो..कितनी सखियां है आगे-पीछे तेरे,डालती रहती

कान्हा पे डोरे..जब जब कान्हा उलझने लगता उन मे,राधा आती पीछे पीछे..शुद्ध प्रेम की डोर से खिंच

कर आ जाता कान्हा राधा के पीछे..प्राण बसे है कान्हा मे मेरे,राधा की महिमा कान्हा क्या जाने...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...