क्या लिखे कि सौंदर्य...तुम कौन और कैसे हो..दुनियाँ के हर कोने मे हो,मगर कहां सम्पूर्ण हो..चेहरे
मोहरे को पोत दिया रंगो से,सजा लिया खूब सारे आभूषणों से..तो सौंदर्य इक पहचान बन गया..कभी
निहायत सूंदर पोशाकों से खुद को बना लिया खास और और सौंदर्य खिल गया कितने रंगो मे..सौंदर्य,
को हम ने परिभाषित किया चंद लफ्ज़ो मे..साधारण सा रंग-रूप,मगर बोलने के सलीके से भरा हुआ..
अदब की भाषा से महका हुआ,सिर्फ इक नज़र से जो दिल चुरा ले लाखो का,मासूम सी मुस्कान से
दर्द हर ले सभी का,हंसी खिलखिलाती जैसे झरना हो किसी पहाड़ का...
मोहरे को पोत दिया रंगो से,सजा लिया खूब सारे आभूषणों से..तो सौंदर्य इक पहचान बन गया..कभी
निहायत सूंदर पोशाकों से खुद को बना लिया खास और और सौंदर्य खिल गया कितने रंगो मे..सौंदर्य,
को हम ने परिभाषित किया चंद लफ्ज़ो मे..साधारण सा रंग-रूप,मगर बोलने के सलीके से भरा हुआ..
अदब की भाषा से महका हुआ,सिर्फ इक नज़र से जो दिल चुरा ले लाखो का,मासूम सी मुस्कान से
दर्द हर ले सभी का,हंसी खिलखिलाती जैसे झरना हो किसी पहाड़ का...