Wednesday 1 January 2020

खुद का दर्द और खुद को भुला कर,जग को मुस्कुराना सिखाना है..यह मकसद लिए जहां मे इंसानो

से मिलने चले आए..कोई था बेरुखी से भरा तो कोई था अपने ही गरूर से भरा..किसी को ज़िंदगी से

मोह ना था..कोई कोई तो हमारी बात सुनने को ही तैयार ना था..सरल मन की सरल मुस्कान से उन

सभी को जीना भी सिखाया और हंसना भी सिखाया..कामयाब तो तब हुए जब एक पत्थर को आज

मुस्कुराते देखा..बहुत शिद्दत से बहुत मेहनत से,हम उस को सिखा रहे थे ज़िंदगी के मायने..आज जब

देखा उस को मुस्कुराते हुए,तो लगा सही मायनो मे हम कामयाब हुए..हमारा मकसद पूरा हुआ,अब

बेशक उस की नज़रे बदले या हमी को भूल जाये...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...