Tuesday 7 January 2020

साँझ पूछ रही है आने वाली रात से,कितना सकून देने वाली है तू, आज रात अपने सोने वालो को..

रात हंस दी साँझ पे ..क्या तुम ने पूछा बीते सवेरे से,क्या दिया उस ने ,जागे रहे जो उस के लिए...

पूछती हू तुम से भी साँझ रे,संवारा कितनो को आज अपने रूप से..कुछ भी पूछने से पहले बात

अपनी और सवेरे की कर..मैं तो रात हू,बेशक रंग से गहरी हू...मगर सुन साँझ और सवेरे,सब

थके-हारो को अपनी आगोश मे जब  जब भी लेती हू..भूलते है सब दर्द अपना,इंतजार ही इंतजार

होता है मेरा..सकून से सुलाती हू मैं,जो भी आ जाए मेरी आगोश मे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...