Thursday 16 January 2020

स्वाभिमान जो आज इस मोड़ पे लाया है..आत्म-सम्मान जो डर को तोड़ता आया है..हां,कभी रो दिए

तो कभी किसी बात पे मुस्कुरा दिए..भावनाओं का खेल है,इंसानी रूप है..ज़ज्बातो के चलते कभी यू

ही इस ज़िंदगी के साथ चल दिए...कभी इस के लिए तो कभी उस की ख़ुशी के लिए,मरते मरते ही रहे..

कदम अपने खुद के कदमो से मिलाए और रानी झाँसी बन गए..ताउम्र रहे गे यू ही रानी खुद की बन के

कि रास्ते तो अब मुकम्मल हो गए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...