स्वाभिमान जो आज इस मोड़ पे लाया है..आत्म-सम्मान जो डर को तोड़ता आया है..हां,कभी रो दिए
तो कभी किसी बात पे मुस्कुरा दिए..भावनाओं का खेल है,इंसानी रूप है..ज़ज्बातो के चलते कभी यू
ही इस ज़िंदगी के साथ चल दिए...कभी इस के लिए तो कभी उस की ख़ुशी के लिए,मरते मरते ही रहे..
कदम अपने खुद के कदमो से मिलाए और रानी झाँसी बन गए..ताउम्र रहे गे यू ही रानी खुद की बन के
कि रास्ते तो अब मुकम्मल हो गए...
तो कभी किसी बात पे मुस्कुरा दिए..भावनाओं का खेल है,इंसानी रूप है..ज़ज्बातो के चलते कभी यू
ही इस ज़िंदगी के साथ चल दिए...कभी इस के लिए तो कभी उस की ख़ुशी के लिए,मरते मरते ही रहे..
कदम अपने खुद के कदमो से मिलाए और रानी झाँसी बन गए..ताउम्र रहे गे यू ही रानी खुद की बन के
कि रास्ते तो अब मुकम्मल हो गए...