Thursday 24 October 2019

सब कुछ दिया,सब कुछ किया..प्यार की पराकाष्ठा तब भी समझ ना पाए तुम..ना कुछ माँगा,ना

कुछ चाहा..फिर भी मुझे अपना ना समझ पाए तुम..जीने को तो हर कोई जी लेता है,मगर जो जिए

प्यार मे अपने ऐसा नसीब सब को कहाँ मिलता है..कहने को बहुत कुछ था,पर अब सब सपना है..

तुम कहाँ और हम कहाँ..मिलने का अब क्या सोचे कि तुम तो खुद के ही खुदा हो गए..और हम तुझ

को खुदा माने खुद से ही जुदा हो गए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...