जो भी किया शिद्दत से किया..प्यार को आसमां की बुलंदियों का नाम दिया..हम प्यार की अलग मिसाल
बने,खुद को अपने प्यार मे शीशे की तरह उतार लिया..पूछते है वो अक्सर हम से,तुम क्यों हो सब से जुदा..
क्यों हो इक नदिया की तरह,कभी चंचल तो कभी इक शांत सतह..हम बोले,प्यार की इंतिहा जो देखी है
तो इबादत का रुतबा भी,हमारा देख लेना..नज़र अपनी मे यू ही रखना ..ना खुद से करना जुदा हमे..
नफरत का लावा गर बह निकला,तो डूब जाए गा सारा जहां..कि हम जो भी करते है शिद्दत से ही करते है..
बने,खुद को अपने प्यार मे शीशे की तरह उतार लिया..पूछते है वो अक्सर हम से,तुम क्यों हो सब से जुदा..
क्यों हो इक नदिया की तरह,कभी चंचल तो कभी इक शांत सतह..हम बोले,प्यार की इंतिहा जो देखी है
तो इबादत का रुतबा भी,हमारा देख लेना..नज़र अपनी मे यू ही रखना ..ना खुद से करना जुदा हमे..
नफरत का लावा गर बह निकला,तो डूब जाए गा सारा जहां..कि हम जो भी करते है शिद्दत से ही करते है..