वादियों का असर कुछ ऐसा हुआ हम खुद से बेखबर हो गए..रोना-धोना किस के लिए करे,जब किसी
के लिए बेक़दर हो गए..कलम ने दिया सहारा हम को और हम इन की गहराई मे सिमट गए..अब
लिखते है मुस्कान को साथ लिए,बेशक लिखे मुहब्बत या फिर जुदाई..बोया बीज प्यार का खुद मे,
खुद को पाया खुद मे बन के...खुद ही कृष्णा खुद ही राधा,प्यार प्यार का अलौकिक वादा..रूह को
कब से बांध लिया,सुबह रात तक थाम लिया..अब ना तन्हाई है,ना कोई इंतज़ार है..बेकद्री का जख्म
लिए,खुद ही खुद मे जीते है..
के लिए बेक़दर हो गए..कलम ने दिया सहारा हम को और हम इन की गहराई मे सिमट गए..अब
लिखते है मुस्कान को साथ लिए,बेशक लिखे मुहब्बत या फिर जुदाई..बोया बीज प्यार का खुद मे,
खुद को पाया खुद मे बन के...खुद ही कृष्णा खुद ही राधा,प्यार प्यार का अलौकिक वादा..रूह को
कब से बांध लिया,सुबह रात तक थाम लिया..अब ना तन्हाई है,ना कोई इंतज़ार है..बेकद्री का जख्म
लिए,खुद ही खुद मे जीते है..