Thursday 3 October 2019

चल रहा है मौसम पतझड़ का पर बहार गुलशन मे कायम है..तिनका-तिनका बेशक आर-पार होता

रहे लेकिन फूल फिर भी मुस्कराहट पे कायम है..कांटे कब तक चुभे गे,सरहद पार बस होने को है...

मजबूती जड़ तक है इतनी गहरी,आंधी बेशुमार भी आए वो जगह से अपनी हिल नहीं सकती..क्या

कीजिए फूल का, जब माली की मर्ज़ी जुडी है फूल से..महक से लबालब भरा है फूल कि माली की राह

नज़दीक आने को है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...