चल रहा है मौसम पतझड़ का पर बहार गुलशन मे कायम है..तिनका-तिनका बेशक आर-पार होता
रहे लेकिन फूल फिर भी मुस्कराहट पे कायम है..कांटे कब तक चुभे गे,सरहद पार बस होने को है...
मजबूती जड़ तक है इतनी गहरी,आंधी बेशुमार भी आए वो जगह से अपनी हिल नहीं सकती..क्या
कीजिए फूल का, जब माली की मर्ज़ी जुडी है फूल से..महक से लबालब भरा है फूल कि माली की राह
नज़दीक आने को है...
रहे लेकिन फूल फिर भी मुस्कराहट पे कायम है..कांटे कब तक चुभे गे,सरहद पार बस होने को है...
मजबूती जड़ तक है इतनी गहरी,आंधी बेशुमार भी आए वो जगह से अपनी हिल नहीं सकती..क्या
कीजिए फूल का, जब माली की मर्ज़ी जुडी है फूल से..महक से लबालब भरा है फूल कि माली की राह
नज़दीक आने को है...