Saturday 5 October 2019

ख़ामोशी हमारी कितनी गहरी होगी,इस को तुम कभी ना समझ पाओ गे...तेरे झूठ की खबर कुछ

कुछ पहले थी मगर बदल दे गे तुझ को,ऐसा गुमा खुद पे था...मुहब्बत का कोई वादा तुझ से ना

माँगा था,खुद पे यकीं बहुत जयदा था...उसी यक़ीं पे खुद को संभाले है,वरना तूने तो झूठ का साथ

अब तक ना छोड़ा है..ज़िंदगी मे तेरी किस किस का आना-जाना है,पहले जाना होता तो पास तेरे ना

आते...खड़े है आज भी उसी मोड़ पे,जहां से तेरी राहें जुदा हो चुकी है मुझी से...तड़प अब कितनीं गहरी

तेरी होगी,यह तुम भी ना समझ पाओ गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...