Thursday 10 October 2019

ऐ जश्ने-बहारे ज़िंदगी,आज तुझी पे हम कुर्बान हो गए..पाके-मुहब्बत को समेटा दिल मे और लफ्ज़ो

की दुनियाँ मे आ आए..क्या खोया क्या पाया,दर्द को भीतर ही समाए मुहब्बत को बिखेरने ,दुनियाँ को

सन्देश देने सब से पहले आ गए..खुद से प्यार अब और करने लगे...राधा-कृष्ण को याद करते करते

उन की प्रेम-गाथा लिखने फिर अपने पन्नो पे आ गए..ख़ुशी ख़ुशी सब कुर्बान किया और आंसू उन्ही

वादियों मे छोड़ आए...आज प्यार की परिभाषा तो वही है,पर परीक्षा देने फिर पन्नो पे निकल आए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...