ऐ जश्ने-बहारे ज़िंदगी,आज तुझी पे हम कुर्बान हो गए..पाके-मुहब्बत को समेटा दिल मे और लफ्ज़ो
की दुनियाँ मे आ आए..क्या खोया क्या पाया,दर्द को भीतर ही समाए मुहब्बत को बिखेरने ,दुनियाँ को
सन्देश देने सब से पहले आ गए..खुद से प्यार अब और करने लगे...राधा-कृष्ण को याद करते करते
उन की प्रेम-गाथा लिखने फिर अपने पन्नो पे आ गए..ख़ुशी ख़ुशी सब कुर्बान किया और आंसू उन्ही
वादियों मे छोड़ आए...आज प्यार की परिभाषा तो वही है,पर परीक्षा देने फिर पन्नो पे निकल आए...
की दुनियाँ मे आ आए..क्या खोया क्या पाया,दर्द को भीतर ही समाए मुहब्बत को बिखेरने ,दुनियाँ को
सन्देश देने सब से पहले आ गए..खुद से प्यार अब और करने लगे...राधा-कृष्ण को याद करते करते
उन की प्रेम-गाथा लिखने फिर अपने पन्नो पे आ गए..ख़ुशी ख़ुशी सब कुर्बान किया और आंसू उन्ही
वादियों मे छोड़ आए...आज प्यार की परिभाषा तो वही है,पर परीक्षा देने फिर पन्नो पे निकल आए...