ऐ मुहब्बत तू मेरी ज़िंदगी मे बेशक कभी दस्तक ना दे,फिर भी तुझे लिखे गे मुहब्बत से,मुहब्बत की
तरह..क्यों कि वादा किया है इस जग से इन पन्नो से,तुझ को बिखेरे गे पूरे जहान मे...कोई भी अनजान
ना रहे मुहब्बत की रवानगी से..हम ने बस राधा कृष्णा की मुहब्बत को जाना है,माना है..जो पावन रूप
है मुहब्बत का..इस दौर मे ऐसी मुहब्बत कौन करता है,सो हमारे लिए मुहब्बत का पन्ना इस जन्म के
लिए कोरा है...
तरह..क्यों कि वादा किया है इस जग से इन पन्नो से,तुझ को बिखेरे गे पूरे जहान मे...कोई भी अनजान
ना रहे मुहब्बत की रवानगी से..हम ने बस राधा कृष्णा की मुहब्बत को जाना है,माना है..जो पावन रूप
है मुहब्बत का..इस दौर मे ऐसी मुहब्बत कौन करता है,सो हमारे लिए मुहब्बत का पन्ना इस जन्म के
लिए कोरा है...