Saturday 19 October 2019

आज इक नए जज्बे को साथ लिए,सरगोशियों मे चले आए है..सब का साथ मिले ना मिले मगर खुद

को तराशने फिर से आए है..लफ्ज़ तो वही होगा'''प्यार'' का रूप भी वही होगा,मगर खुद को ढाल दे

गे शिद्दत से इन मे इतना कि दुनियाँ कभी ना कभी नाज़ करे गी हम पे इतना..डरते नहीं खुद की

आज़माइश पे,खौफ भी नहीं कि क्या हम खरे उतर पाए गे अपनी कवायत पे..मंज़िल को अब पाना

है हर हाल मे..शुद्ध प्रेम को,गूढ़ मुहब्बत को अपनी मेहनत से पेश करे गे..अपनी सरगोशियों पर..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...