आज इक नए जज्बे को साथ लिए,सरगोशियों मे चले आए है..सब का साथ मिले ना मिले मगर खुद
को तराशने फिर से आए है..लफ्ज़ तो वही होगा'''प्यार'' का रूप भी वही होगा,मगर खुद को ढाल दे
गे शिद्दत से इन मे इतना कि दुनियाँ कभी ना कभी नाज़ करे गी हम पे इतना..डरते नहीं खुद की
आज़माइश पे,खौफ भी नहीं कि क्या हम खरे उतर पाए गे अपनी कवायत पे..मंज़िल को अब पाना
है हर हाल मे..शुद्ध प्रेम को,गूढ़ मुहब्बत को अपनी मेहनत से पेश करे गे..अपनी सरगोशियों पर..
को तराशने फिर से आए है..लफ्ज़ तो वही होगा'''प्यार'' का रूप भी वही होगा,मगर खुद को ढाल दे
गे शिद्दत से इन मे इतना कि दुनियाँ कभी ना कभी नाज़ करे गी हम पे इतना..डरते नहीं खुद की
आज़माइश पे,खौफ भी नहीं कि क्या हम खरे उतर पाए गे अपनी कवायत पे..मंज़िल को अब पाना
है हर हाल मे..शुद्ध प्रेम को,गूढ़ मुहब्बत को अपनी मेहनत से पेश करे गे..अपनी सरगोशियों पर..