''''सरगोशियां''''प्यार-मुहब्बत के बेहद मीठे लफ्ज़ो को हवाओ मे उड़ाती मेरी सरगोशियां...कभी विरह के धागो को अनकहे लफ्ज़ो मे समेटती मेरी सरगोशियां...तो कभी गिले-शिकवे दर्शाती मेरी यह सरगोशियां...इबादत का पाक रूप-रंग लिए आप सभी को,इबादत का अर्थ समझाती मेरी यह सरगोशियां..किसी मोड़ पे मिल जाए गे यू ही कभी,यह यकीन देती मेरी सरगोशियां...समर्पण को भी खुशबू के अनोखे रंग मे ढालती मेरी यह सरगोशियां ...रिश्ते की बेवफाई को नकारती मेरी यह सरगोशियां..दोस्तों,मेरी सरगोशियां...हर रूप मे आप सब के सामने आतीआप सभी के साथ की उम्मीद लिए..आप की शायरा.. है..हर रूप को अब सभी का दुलार-प्यार मिल रहा है..शुक्रिया मेरे दोस्तों...शुक्रिया..तहे-दिल से शुक्रिया...
Monday, 14 October 2019
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए....
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आहटे कभी झूट बोला नहीं करती,वो तो अक्सर रूह को आवाज़ दिया करती है...मन्नतो की गली से निकल कर,हकीकत को इक नया नाम दिया करती है...बरकत देती ...
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मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कह...