नाज़ करते है अपनी कलम पे,जो हर जगह हर कदम साथ मेरे चलती है..लिखे चाहे सुख लिखे चाहे
दुःख,लिखे बेशक मुहब्बत या लिखे दर्द का गहरा पैमाना..इस का वादा है मुझ से,साथ कभी ना छोड़े
गे..कितने लफ्ज़ लिख डाले हम ने,कितने पन्ने भर डाले हम ने..कभी साथ ना छोड़ा इस ने...बहुत
दूर तक चलना है मुझ को,बहुत बहुत कुछ लिखना है मुझ को..आसमां को छूना है मुझ को,बेशक
साथ कोई भी छोड़े..कलम साथ जब है मेरे,दुआ साथ है अब भी मेरे..फिर क्यों डरना,नाज़ करते है
कलम हम तुझ पे..
दुःख,लिखे बेशक मुहब्बत या लिखे दर्द का गहरा पैमाना..इस का वादा है मुझ से,साथ कभी ना छोड़े
गे..कितने लफ्ज़ लिख डाले हम ने,कितने पन्ने भर डाले हम ने..कभी साथ ना छोड़ा इस ने...बहुत
दूर तक चलना है मुझ को,बहुत बहुत कुछ लिखना है मुझ को..आसमां को छूना है मुझ को,बेशक
साथ कोई भी छोड़े..कलम साथ जब है मेरे,दुआ साथ है अब भी मेरे..फिर क्यों डरना,नाज़ करते है
कलम हम तुझ पे..