लफ्ज़ो का जादू जब-जब बिखरता है इन पन्नो पे,बाबा की दुआ याद आ जाती है...लफ्ज़ जब-जब
भी पन्नो पे ताकत बनते है क्यों माँ का आशीष याद आता है..बेशक लिखे मुहब्बत या तन्हाई या
लिख दे जुदाई..आँखों मे दुआओ का साथ नज़र आता है..ना जाने कितने लफ्ज़ो को लिखा आज तक
हम ने,भण्डार इन का ख़त्म नहीं होता..पहुंचे गे जब अपने मुकाम पर,तब भी इन्ही दुआओ का साथ
हमारे साथ होगा..
भी पन्नो पे ताकत बनते है क्यों माँ का आशीष याद आता है..बेशक लिखे मुहब्बत या तन्हाई या
लिख दे जुदाई..आँखों मे दुआओ का साथ नज़र आता है..ना जाने कितने लफ्ज़ो को लिखा आज तक
हम ने,भण्डार इन का ख़त्म नहीं होता..पहुंचे गे जब अपने मुकाम पर,तब भी इन्ही दुआओ का साथ
हमारे साथ होगा..