Monday 21 October 2019

लफ्ज़ो का जादू जब-जब बिखरता है इन पन्नो पे,बाबा की दुआ याद आ जाती है...लफ्ज़ जब-जब

भी पन्नो पे ताकत बनते है क्यों माँ का आशीष याद आता है..बेशक लिखे मुहब्बत या तन्हाई या

लिख दे जुदाई..आँखों मे दुआओ का साथ नज़र आता है..ना जाने कितने लफ्ज़ो को लिखा आज तक

हम ने,भण्डार इन का ख़त्म नहीं होता..पहुंचे गे जब अपने मुकाम पर,तब भी इन्ही दुआओ का साथ

हमारे साथ होगा..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...